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हाईकोर्ट सख्त: केवल शिमला नहीं, पूरे हिमाचल से हटाएं सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे

  सरकार से मांगी प्रदेशभर की रिपोर्ट, बाग-बगीचों से लेकर बड़े कब्जाधारकों तक सब पर हो कार्रवाई हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी और वन भूमि प...

 


सरकार से मांगी प्रदेशभर की रिपोर्ट, बाग-बगीचों से लेकर बड़े कब्जाधारकों तक सब पर हो कार्रवाई

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी और वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया है कि कार्रवाई केवल दो-तीन बीघा कब्जाने वालों तक सीमित न रहे, बल्कि बड़े स्तर पर कब्जा जमाए बैठे लोगों पर भी सख्त एक्शन लिया जाए।


मुख्य न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि केवल अपर शिमला के चैंथला या कुमारसैन जैसे गांवों तक कार्रवाई सीमित रखना पर्याप्त नहीं है, बल्कि प्रदेशभर में फैले ऐसे कब्जों को एक समान नीति के तहत हटाया जाए।


राज्य सरकार से अगली सुनवाई में स्टेटस रिपोर्ट मांगी


कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सरकार अगली सुनवाई में प्रदेशभर में हुए अतिक्रमण की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट का कहना है कि केवल सेब के पेड़ काटने या बगीचों को उजाड़ने से समाधान नहीं निकलेगा, जहां-जहां सरकारी या वन भूमि पर कब्जा हुआ है, सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।


सेब के बगीचों की देखरेख से पीछे हटी सरकार


इससे पहले राज्य सरकार ने कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा कि वन भूमि पर अतिक्रमण कर लगाए गए सेब के बगीचों की देखरेख संभव नहीं है। सरकार ने साफ किया कि बागबानों से बगीचे हटवाना ही एकमात्र रास्ता है। हाईकोर्ट ने इस पर सख्ती जताते हुए 'चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई और रसूखदारों को छोड़ देने' की नीति पर सवाल उठाए।


एक नजर में – मामला क्या है?


राज्य में हजारों बीघा सरकारी व वन भूमि पर लोगों ने बगीचे, खेत और निर्माण कर रखे हैं।


कुछ गांवों में कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई शुरू हुई, लेकिन पूरे प्रदेश में कार्रवाई की रफ्तार सुस्त है।


हाईकोर्ट ने सरकार को पूरे प्रदेश के आंकड़े पेश करने और 'एक समान नीति' अपनाने के निर्देश दिए हैं।

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