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कोरोना वारियर को भूली सरकार, आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट की वेतन विसंगति का समाधान न होने से कर्मचारियों में भारी रोष।

हिमाचल प्रदेश के आयुष विभाग में कार्य कर रहे 1000 से ज्यादा आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट ऐसे है जिनकी वेतन विसंगति का मामला 2012 से चल रहा है। कुछ...

हिमाचल प्रदेश के आयुष विभाग में कार्य कर रहे 1000 से ज्यादा आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट ऐसे है जिनकी वेतन विसंगति का मामला 2012 से चल रहा है। कुछ समय पहले हुई  जे.सी.सी. बैठक में भी ये मामला इन कर्मचारियों ने उठाना चाहा परंतु इस बैठक में ये निर्णय हुआ कि छ्ठे वेतनमान में सभी विसंगतिया स्वत: दूर हो जायेगी।
जिसमें पहले 2 विकल्प दिए गए ।आयुष फार्मासिस्ट को मजबूरन 2.59 का विकल्प चुनना पड़ा।परंतु वेतन विसंगति ज्यूं की त्यूं बनी रही।
कर्मचारियों का कहना है कि हमें केवल एलोपैथी फार्मासिस्ट के बराबर वेतन दिया जाए।
कर्मचारियों ने यह भी कहा कि आयुष फार्मासिस्ट सरकार को हर किसी जनहित कार्यक्रम जैसे पोलियो, टी.बी. उन्मूलन, आदि में अपना सहयोग देते आ रहे है।
अगर बात करें कोरोना महामारी की तो इस वैश्विक महामारी में घर से दूर सबसे पहले इन्हीं कर्मचारियों ने अपना भरपूर योगदान दिया था। जिसके लिए प्रदेश मुख्यमंत्री ने खुद इन कर्मचारियों को प्रशंसा पत्र भी बांटे है।
आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र जो की बहुत ही दूर दराज में जन सेवा के लिए खोले है ये कर्मचारी वहां अपनी सेवाएँ दे रहे है।
कर्मचारियों ने सरकार को इस विषय में कई बार अवगत कराया। परंतु आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
इनकी सेवा लोगों से जुड़ी है इसलिए इन कर्मचारियों ने कोई हड़ताल का रास्ता भी नहीं चुना। ऐसे में ये कर्मचारी जाएं भी कहां ।
इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि इनकी इस वेतन विसंगति का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।

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