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हिमाचल में ईडब्ल्यूएस घोटाला: फर्जी प्रमाणपत्रों से बने डॉक्टर, विजिलेंस की जांच में बड़ा खुलासा

कई जिलों में केस दर्ज, अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज धर्मशाला/शिमला। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के नाम पर बड़ा फर्ज...



कई जिलों में केस दर्ज, अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज


धर्मशाला/शिमला। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। विजिलेंस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनवाकर कई अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरियां हथिया लीं — जिनमें आयुर्वेदिक विभाग में डॉक्टर पद पर तैनात लोग भी शामिल हैं।


अब तक मंडी, धर्मशाला, हमीरपुर और बिलासपुर जिलों में फर्जीवाड़े के गंभीर मामलों में केस दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से तीन मामलों को सरकार की मंजूरी भी मिल चुकी है, जिससे यह साफ है कि कार्रवाई की रफ्तार अब तेज होने वाली है।


शिकायत से खुला घोटाले का राज


यह घोटाला उस समय उजागर हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने विजिलेंस को फर्जी प्रमाणपत्रों की सूचना दी। जांच में पाया गया कि कई अभ्यर्थियों ने या तो अपनी पारिवारिक आय छिपाई या फिर पहले से ही सरकारी सेवा में कार्यरत होते हुए भी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र हासिल किया।


गौरतलब है कि ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र उन्हीं को मिल सकता है, जिनकी पारिवारिक आय तय सीमा से कम हो और जिनके परिवार में कोई भी सरकारी सेवा में कार्यरत न हो। इस प्रमाणपत्र के आधार पर अभ्यर्थी केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण का लाभ उठाते हैं।


अधिकारियों की भूमिका पर भी उठे सवाल


विजिलेंस की जांच की आंच अब उन अधिकारियों तक भी पहुंच रही है, जिन्होंने इन फर्जी दस्तावेजों को आंख मूंदकर मान्यता दी। विभागीय स्तर पर मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।


जिलावार फर्जीवाड़े की स्थिति


जिला केसों की संख्या


कांगड़ा 5

मंडी 4

हमीरपुर 4

बिलासपुर 1

इन सभी नियुक्तियां वर्ष 2022 में बैचवाइज प्रक्रिया के तहत हुई थीं।


सख्त कार्रवाई के संकेत


राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की इस कार्रवाई को एक कड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि ऐसे फर्जीवाड़े अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि जांच का दायरा अन्य विभागों तक भी बढ़ाया जा सकता है। यदि आगे भी इसी तरह के मामले सामने आते हैं, तो बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियों पर कब्जा जमाए फर्जी अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ना तय है।


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