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हिमाचल में भूमि रजिस्ट्री का डिजिटल युग शुरू, सिर्फ एक बार जाना होगा ऑफिस

   मुख्यमंत्री ने किया एनजीडीआरएस पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ, 10 जिलों में लागू हुई नई व्यवस्था शिमला | 11 जुलाई अब हिमाचल प्रदेश के नागरिको...

  

मुख्यमंत्री ने किया एनजीडीआरएस पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ, 10 जिलों में लागू हुई नई व्यवस्था


शिमला | 11 जुलाई


अब हिमाचल प्रदेश के नागरिकों को जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए बार-बार तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को ‘माई डीड’ नामक नई डिजिटल पहल और एनजीडीआरएस (नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ करते हुए यह ऐतिहासिक घोषणा की।


इस प्रणाली के तहत नागरिक अब कहीं से भी और किसी भी समय भूमि पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। उन्हें केवल एक बार फाइनल दस्तावेज के सत्यापन के लिए तहसील कार्यालय जाना होगा। इससे समय, श्रम और धन की बचत होगी और व्यवस्था अधिक पारदर्शी बन सकेगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल प्रदेश के 10 जिलों की प्रमुख तहसीलों — बिलासपुर सदर, डलहौजी, गलोड़, जयसिंहपुर, भूंतर, पधर, कुमारसेन, राजगढ़, कंडाघाट और बंगाणा — में पायलट आधार पर लागू की गई है। आने वाले समय में इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।


जमाबंदी से लेकर म्यूटेशन तक सब कुछ होगा ऑनलाइन


इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग की अन्य महत्वपूर्ण डिजिटल पहलों — संशोधित जमाबंदी, ई-रोजनामचा वाक्याती, और कारगुजारी प्रणाली — का भी शुभारंभ किया।


 नई जमाबंदी अब सरल हिंदी में होगी, जिससे आम लोगों को भूमि रिकॉर्ड समझने में आसानी होगी।

 ई-रोजनामचा वाक्याती के तहत पटवारी अब अपनी दैनिक गतिविधियों का डिजिटल रिकॉर्ड रख सकेंगे।

 कारगुजारी प्रणाली से विभागीय कर्मियों की उपस्थिति और कार्यों की मॉनिटरिंग डिजिटल रूप से होगी।


मुख्यमंत्री ने बताया कि डिजिटल हस्ताक्षर युक्त जमाबंदी मॉड्यूल 10 दिनों में तैयार किया जाएगा, जिससे नागरिकों को 'फर्द' के लिए पटवारखानों में चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। वहीं 15 दिनों में ऑनलाइन राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली और म्यूटेशन मॉड्यूल भी विकसित कर जमाबंदी रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा।


सिंगल खाता, सिंगल ओनर’ की ओर बढ़ेगा हिमाचल


मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए कि वे इन पहलों को मिशन मोड में लागू करें। खासतौर पर संयुक्त भूमि स्वामित्व के मामलों में 'खान्गी तकसीम' को प्राथमिकता देने को कहा, जिससे भूमि रिकॉर्ड स्पष्ट और विवाद रहित बनेंगे।


उन्होंने कहा, “हमें ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ना है, जो पेपरलेस, प्रजेंसलेस और कैशलेस हो। सरकार डिजिटल इंडिया की दिशा में ठोस कदम उठा रही है, जिससे आम जनता को घर बैठे सेवाएं मिलें और कार्यालयों में भीड़ न लगे।”


इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक विनोद सुल्तानपुरी और मलेंद्र राजन, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, डिजिटल प्रौद्योगिकी निदेशक डॉ. निपुण जिंदल, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।


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